Bas Ek Lamhe Ka Jhagda Tha – Gulzar Poem
बस एक लम्हे का झगड़ा था। Bas Ek Lamhe Ka Jhagda Tha – Beautiful Poem (Nazm) by Gulzar in Hindi बस एक लम्हे का झगड़ा था दर-ओ-दीवार पे ऐसे छनाके से गिरी आवाज़ जैसे काँच गिरता है हर एक शय में गई उड़ती हुई, चलती हुई, किरचें नज़र में, बात में, लहजे में, सोच और साँस …